मेरे भाई डा.रूपेश श्रीवास्तव का एक पुराना चित्र
अनुज भाई कोई शक नहीं है कि काफ़ियाबंदी या तुकबंदी में लय,गति,वेग और प्रवाह है लेकिन डाक्टर साहब की तो आदत है यारों से ठिठोली करने की सो उन्होंने कविता में भड़ास का दर्शन जोड़ दिया जोकि अधिकांश मध्यमवर्गीय जनों का दर्द है। डा.रूपेश स्वयं एक संवेदनशील कवि हैं ये आपको आगे पता चलता जाएगा, वे बहुत कुछ लिख चुके हैं भड़ास के मूल दर्शन के सर्जक हैं। उन्होंने एक कविता लैंगिक विकलांगों के अंतर्मन की पीड़ा को व्यक्त करते हुए लिखी है जो कि तमाम मंचों और पत्रिकाओं पर सराही गयी है.... नाम है...."क्योंकि मैं हिजड़ा हूं"। वे दूसरों की पीड़ा को जिस शिद्दत से महसूस करते हैं उसके लिये उन जैसा ही दिल चाहिये। उनका कार्यक्षेत्र झोपड़पट्टी और रेडलाईट एरियाज़ हैं जिनमें वे अपने ऐश्वर्य भरे जीवन को छोड़ कर सबकी पीड़ाए बांटते विचरते हैं। इस पर उन्हें शुरुआती दौर में तमाम सामाजिक और पारिवारिक बहिष्कार का सामना भी करना पड़ा, कुरीतियों और बुराइयों से संघर्ष करते कई बार उन पर जानलेवा हमले हुए लेकिन वे इसे अपने कार्य का प्रतिफ़ल समझ कर स्वीकारते हैं। आयुर्वेद विषय में उच्च शिक्षित हैं M.D., Ph.D. हैं, खुद जड़ी-बूटियां उगाते हैं आयुषवेद परिवार के कुटुंब प्रमुख हैं, अकेले रहते हैं और उनकी जीवन शैली के बारे में तो मै स्वयं, भाई रजनीश के.झा और मुंबई के अधिकांश ब्लागर जानते हैं कि कैसे पीड़ाए बांटने में सबसे आगे खड़े रहते हैं और कब आपका दर्द लेकर मुस्कराते हुए अगले दर्दी के पास चले गये आप मंत्रमुग्ध से समझ ही नहीं पाते। हम लोगों ने इन्हें करीब से देखा है इसीलिये ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि अगले जन्म में यदि विधान ऐसा होता हो तो इन्हें मेरा बेटा बनाकर पैदा करना। जरा से फक्कड़ और मस्तमौला टाइप के हैं इनकी गम्भीरता भी मुसकराहट के पीछे छिप जाती है इसलिये कई बार लोग इनके बारे में भ्रमित हो जाते हैं। भड़ास इनके लिये मात्र एक वेबपेज नहीं बल्कि जीवनशैली है। लिखते समझते हुए आगे बढते चलेंगे ...
जय जय भड़ास
कोटि कोटि धन्यवाद आपका डॉ साहब के जीवन दर्शन से परिचय कराने का
ReplyDeleteamitjain
अरे रे रे...बहन जी कुछ ज्यादा ही इमोशनल हो गयी हैं क्या। मेरे जैसे चिरकुट के बारे में इतना सब कुछ लिख मारा लोग सोचते हैं कि ये दोनो भाई-बहन बड़े बदमाश हैं एक दूसरे की झूठी तारीफ़ें करते रहते हैं
ReplyDeleteजय जय भड़ास