मैं यहाँ पर आपको logic के बारे में विस्तार से नहीं बताने जा रहा बल्कि मै इसके एक भाग के बारे में जो मै जानता हूँ बताने जा रहा हूँ।practical phylosophy के दो ब्रान्च होते हैं इथिक्स व लाजिक ।ये दोनो अपने आप में पढ़ाये जाने वाले कालेज के कोर्स हैं,मै बस थोडा सा बताने जा रहा हूँ।लोजिक के भी दो ब्रान्च होते हैं,epistemology and dialectics मै दोसरे प्रकार को समझाने जा रहा हूँ क्योंकि यह हमें सोचने के सही तरीके के बारे में बताता है।dialectics के तीन भाग होते हैं1-simple apprehension2-judgment3-reasoning1-simple apprehension-इसका मतलब होता है किसी बात के बारे में बस उपरी तौर पर जानना जैसे, यह एक पेन है। यह एक आम है इत्यादि?2-judgment-इस तक पहुँचने के लिये दो simple apprehension की आवश्य्क्ता होती हैजैसे- यह एक पेन है(simple apprehension) यह लाल है(simple apprehension) judgement यह एक लाल पेन है।॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑ मुम्बई पर हमला करने वाले मुसलिम थे(simple apprehension)
संसद पर हमला करने वाले भी मुसलिम थे(simple apprehension) judgement मुसलिम आतंकवादी होते हैं।
3-reasoning-जिस तरह दो simple apprehension जरूरी हैं judgement तक पहुँचने के लिये उसी तरह दो judgement जरूरी हैं reasoning तक पहुँचने के लिये।यह एक अच्छी किताब है।यह मुझे पसंद है।अत: मुझे अच्छी किताबे पसंद हैं।॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑
प्यारे भाई शायद इतना दर्शन शास्त्र पढ़ लिया कि गणित के टीचर की नौकरी मिल गयी, ऐसा है क्या? तर्क के इतने बड़े जानकार हो तो बस इतना बताना कि क्या "कुतर्क" तर्क नहीं होता? सीधा उत्तर देना। सच तो यह है कि तर्क दिमाग से उपजता है जिसमें प्रेम,वात्सल्य,दया,करुणा,स्नेह आदि जैसे भावों का कोई स्थान नहीं रहता है; तर्क निष्ठुर होता है तर्क से आप किसी को निरुत्तर कर सकते हैं सहमत नहीं ये तो स्पष्ट जान लीजिये। आपको अंडा खाना है तो उसके पक्ष में सौ तर्क हैं और नहीं खाना है तो विरोध में हजार तर्क हैं बस बात इतनी है कि आपके दिल को क्या सही लगता है। सांख्य,न्याय,मीमांसा आदि को पढ़ लेने से कोई भी जानकार बन सकता है बुद्ध नहीं। जरा सेक्स गुरू होने का आरोप जीवन भर उठाए रहने वाले समकालीन ओशो रजनीश को पढ़ लीजिये आपके तर्क शांत हो जाएंगे लेकिन सिर्फ़ तर्क के विषय तक ही रहियेगा ये न हो कि आप उनकी अन्य बातों पर कूद जाएं क्योंकि उन्होंने तो साढ़े छह सौ से ज्यादा प्रकाश्य पुस्तकों की विचार सामग्री अपने जीवन काल में दी है। आपने अब तक नहीं बताया कि अजय जी के पोस्ट पर कि क्या माओवादी,नक्सलवादी,सिख खाड़कू,बोडो उग्रवादी आदि आपके तर्क से आतंकवादी नहीं है? आप बस मुस्लिमों पर निशाना साध कर भारत माता की सेवा की आड़ में क्या स्वार्थ सिद्ध करना चाहते हैं? विषयांतर मत करियेगा जैसे चंदन जी ने आपकी बातों का शब्दशः उत्तर दिया वैसे ही आपको भी अजय जी या मेरी बातों का उत्तर देना चाहिये तो आप न तो मुनव्वर आपा को पढ़ेंगे न ही हमारी बात का सीधा उत्तर देंगे बस एक कुटिल राजनेता की तरह अपनी तुरही फूंकते रहते हैं ताकि उत्तर देने से बचे रहें, भड़ास पर आपका आरोप भी मुझे आपकी इसी कुटिलता से जुड़ा साफ़ नजर आ रहा है वरना आप सीधी बात क्यों नहीं करते? कहीं ऐसा तो नहीं है कि भड़ास को निशाना बनाने के लिये आप कहीं से समर्थित हैं निजी तौर पर क्योंकि भड़ास अपनी स्पष्टवादिता के चलते वैसे भी काफ़ी विवादित है।
ReplyDeleteजय जय भड़ास
APKI BAT MEIN 2 LOGIC HAI. APKA YE KAHANA KI DONO JAGAH HAMLA KARNE WALE MUSLIM THE. JUDGMENT YE HUA KI MUSLIM TERRORIST HOTE HAIN. APKA JUDGMENT EKDUM SAHI HAI. KYOUNKI YE YAH NAHI KAHTA KI muslim hi atankwadi hote hain. DEKHIYE MUSLIM ATANKWADI HOTE HAIN AUR MUSLIM HI ATANKWADI HOTE HAIN. DONO ALAG ALAG BATEIN HAIN. INHE SAMJHIYE.
ReplyDeleteमुन्नवर आपा मुसलिमों के खिलाफ इस्लिये लिखती हैं ताकि तुम जैसे लोग मुसलिमोंकी करतूतों पर ध्यान न दो पर हम ठहरे मैथमटिशियन हम भावनाओं में नहीं बहते हमें दो व दो चार ही दिखता है पाँच आप लोग देखिये
ReplyDelete