अरूंधति राय के ऊपर जूता चलाने वालों से वैचारिक सहमति रख कर पंखों वाली भड़ास पर पोस्ट डाल देने के अपराध में कनिष्का नामक सदस्य की सदस्यता अपने तुगलकी फ़रमान से रद्द कर दी और अपनी इस तानाशाही हरकत को ये घटिया और कमीना आदमी जरा देखिये तो किस तरह से जस्टिफ़ाई कर रहा है-------
वे भड़ास के फक्कड़, सूफी, औघड़, सहज और देसज मिजाज को समझ नहीं पाये हैं (हद दर्जे का कमीना और नीच आदमी है जो इन शब्दों की आड़ में सबको मूर्ख बना रहा है इस दारूखोर को पता है कि लोग इन बातों से प्रभावित हो जाते हैं ये सियार क्या सूफ़ी और औघड़ बनेगा)
आपको आपकी बख्तरबंद तोपयुक्त अनुशासनी दुनिया मुबारक, हमें अपनी निहंगई रास आ गई है....।(वाह रे निहंगई करने वाले!! तानाशाही तूने फैला रखी है और कम्युनिटी ब्लाग के बहाने लोकतंत्र की बात करता है, जरा पोल लगा न और वोट करा कि कितने लोग तेरे इस कमीनेपन के निर्णय से सहमत हैं बस होंगे वही तोलू, तेल लगाऊ किस्म के लोग अमित द्विवेदी जैसे चार-छह और)
उम्मीद है कनिष्का दिल पर नहीं लेंगे। सोचेंगे, समझने की कोशिश करेंगे। खुल दिल-दिमाग के साथ जब भी इधर की ओर मुंह करेंगे, उनका स्वागत रहेगा। उनके लिए आखिर में बस इतना ही... (कनिष्का के मुंह पर जूता मार दिया सिर्फ़ इसलिये कि इसकी सोच कनिष्का से अलग है ये अब तो हिमायती और वकील बन गया है बुद्धिजीवी केंचुओं का तो इस लिये कनिष्का को सरेआम मंच पर जूता मारने से ज्यादा बेइज्जत कर दिया और बौद्धिकता भी हग रहा है ताकि शरीफ़ दिखता रहे ये कीड़ा) सरिता जी,रजनीश परिहार और संजीव मिश्रा की कनिष्का से सहमति है उनकी सदस्यता समाप्त नहीं कर रहा है ये मुहम्मद तुगलक का संदिग्ध वंशज इसका क्या कारण हो सकता है? बस इतना कि कनिष्का ने पोस्ट लिख कर अपना विचार भड़ास के रूप में जाहिर कर दिया और बाकी लोग टिप्पणी तक ही सीमित रहे। कनिष्का ने जूता नहीं चलाया बस उन्होंने अपने मन की भड़ास की शाब्दिक अभिव्यक्ति लिखित तौर पर उस पन्ने पर दे दी जिस कम्युनिटी ब्लाग कहे जाने वाले पन्ने पर इसका एकाधिकार है और ढकोसलेबाज पाखंडी बात करता है लोकतंत्र और कम्युनिटी ब्लागिंग की। सरिता जी की किसी पुरानी टिप्पणी के विषय में उन्हें चाकलेट दे रहा है इस मौके पर बैगन-स्वभावी और न जाने किस कारण से डा.रूपेश श्रीवास्तव का कट्टर विरोधी कुमारेन्द्र सिंह सेंगर भी इससे सहमत तो नहीं है लेकिन उसे आदत है मुंह मारने की तो बिना बोले कैसे रहेगा।
इतने भोलेपन से सफ़ाईयां दे रहा है कि मैं तो बड़ा साधु हो गया हूं गाली वगैरह सिर्फ़ अब बेनामी देता हूं अरे कीड़े! सच बता न कि दम नही है
मुनव्वर सुल्ताना, मनीषा नारायण, मोहम्मद उमर रफ़ाई, रजनीश के. झा और डा.रूपेश श्रीवास्तव की सदस्यता भी इसने अपनी तानाशाही में ही आकर खत्म कर दी थी लेकिन ये कीड़ा है इसे क्या पता कि जिस भड़ास का ये ढोंग करता है उसे ये सारे लोग जिंदगी में जीते हैं।
कनिष्का के साथ उन तमाम लोगों से मैं कह रहा हूं कि अगर जरा सी भी गैरत है तो खुद उस मुर्दा हो गये पन्ने की कब्र पर फातिहा पढ़ना बंद करो वरना जब उसका मन करेगा तुम लोगों को लात मार कर हटा देगा फिर छ्टपटाते रहोगे।
जय जय भड़ास
मुनेन्द्र भाई मेरा कहना है कि भले ही मुहम्मद तुगलक बुरा रहा होगा पर निःसंदेह बहादुर था ये चिरकुट छुतिहर यशवंत उसका वंशज नहीं हो सकता ये तो एक नंबर का फट्टू है मां बाप ने नाम रखा है यशवंत और साला करता है बेनामी कमेंट्स हमारी भड़ास पर रही बात कुमारेन्द्र की तो वो ढक्कन है उस जैसे लोगों की तरफ़ तो ध्यान ही नहीं देना चाहिये, कीड़े है यार ये लोग पत्रकारिता के गटर में रेंगने वाले।
ReplyDeleteजय जय भड़ास
अजय भाई ने एकदम सही कहा यशवंत में साहस नहीं है वो डंडी मारने वाला बनिया है उसके पूर्वज के रूप में एक बहादुर आक्रांता को मत अनुमान लगाइये वो कीड़ा ही है मुनेन्द्र भाई वो भी गटर का...
ReplyDeleteजय जय भड़ास
मुनीन्द्र भाई,
ReplyDeleteतुगलक हमारे देश का शासक था और ये चिरकुट जयचंद के वंश की नाजायज पैदाईश, बताता चलूँ की क्षद्म नाम से इसकी बहुत सी हड्कतें मेरे पास हैं, अभी तो इसका बहुत सारा काला चिटठा खोलना है.
अपनी घडियाली आंसू से ये लोगों को भाद्माने में माहिर हैं, और भाद्मा कर उसका दलाली करने में भी.
चारो तरफ़ से लात खा चुके ये महाराज पत्रकारों को भरमा कर उनके विचारों के शव पर अपना आशियाना बनने के सपने देख रहा है.
बस इसके समूल सर्वनास का इन्तजार कीजिये.
जय जय भड़ास