हर वक्त भड़ास मत निकालो , कभी कभी प्यार के २ बोल भी निकालो , दिल तो कभी न कभी लगाया होगा तुमने ..........

तुमने ,
उस दिल रुबा को याद कर
कभी प्यार की बारिश भी किया करो कभी कभी ,
न हिंदू बनो ,
न मुसल मन बनो ,
इन्सान भी बना करो कभी कभी ,
हर वक्त जलते रहते हो इर्ष्या की आग मे ,
पड़ोसी को भाई भी माना करो कभी कभी ,
मै अकेला हु ,
वो अकेला है ,
तुम अकले हो ,
आओ मिल कर एक नया समाज बनाये कभी कभी .......

1 comment:

  1. अमित भाई,
    नमन,
    आपके इस बेहतरीन पंक्तियों ने आपका मुरीद बना दिया.
    बस ऐसे ही राष्ट्र संदेश देते रहिये.
    लोगों की आँख कभी न कभी तो खुलेगी ही.
    जय जय भड़ास

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