प्रेम नाम है विश्वास का, भरोसा और आस्था के साथ कदम से कदम मिला कर चलने का, जिसमे साथी के शारीरिक सुन्दरता या गैर सुन्दरता, सम्पूर्णता या विकलांगता कोई मायने नही रखता। साथ चलने और कंधे से कंधा मिला कर जीवन को संग बिताने के साथ एक दुसरे को ना कम ना ज्यादा बस प्रेम, शायद ये ही प्यार है।
मैं प्यार को विस्तृत नही कर सकता, इतनी अकाल नही है मेरी मगर इन तस्वीरों से अविभूत हुए बिना नही रह सका सो बस आपके सामने प्रेम के विभिन्न रूपों में से एक रूप ये भी.....
एक परिवार प्यार से मालामाल, मुस्कुराते चेहरे से कमी का कोई आभास नही।
साथी हाथ बढ़ाना, जिन्दगी के हर राह पे हम साथ होंगे सनम।
शरीर से अपूर्णता, मातृत्व से मालामाल। गवाह मुस्कुराता चेहरा।
सम्पूर्ण परिवार, क्या किसी को कोई शिकायत ?
शारीरक विकलांगता मातृत्व में बाधक नही, जिम्मेदारी सहयोग साथ साथ।
क्या ऐसा मातृत्व देखा कहीं ?
विकलांगता ना ही अभिशाप, ना ही इसका कोई गम जब हो मातृत्व का अहसास।
ना को आधा ना कोई पूरा, प्यार से बढ़ कर ना कोई दूजा।
क्या इस मातृत्व में आपको कोई कमी दिखती है ?
एक अविराम यात्रा जिसमे सभी बराबर के साथी, प्यार का अनूठा संगम।
शायद तस्वीर ने मुझे सोचने को मजबूर किया, मैं इस परिवार को सहानुभूति नही दे रहा बल्कि लोगों को कहने की कोशिश कि प्यार साथ हो तो कुछ भी कम नही लगता, इसे ही तो प्रेम की अविरल धरा कहते हैं।
Mind fresh ho gaya bhaisaheb. duniya aise logo ke dum par hi kayam hai. apke prayas ke liye dhanyabad....
ReplyDeleteरजनीश भाई मुझे पूरा यकीन है कि प्रेम शारीरिक विकलांगता क्या बल्कि शारीरिक उपस्थिति का भी मोहताज नहीं है। इस पोस्ट के लिये साधुवाद...
ReplyDeleteजय जय भड़ास
मन मे हजारो सवाल उठा दिए भाई आपने /
ReplyDeleteक्या हम जिस प्रेम की बात करते है वो कही भी इस समर्पण के आगे टिकता है /
मेरा सलाम एसे आपसी प्यार और समर्पण के लिए
दिल प्रसन्न हो गया और मन पर तमाम जो आग्रह शरीर और प्रेम को लेकर छाए थे इस पोस्ट को देख कर निवारण हो गये। आपको दिल से शुक्रिया....
ReplyDeleteजय जय भड़ास
बड़े भाई,
ReplyDeleteरिश्तों की इस शानदार अभिव्यक्ती के लिए तेरे कु भौत भौत शुक्रिया.
स्स्स्साला इस टुच्चे के ज़माने में वीरू रिश्ते की अहमियत ही ख़तम हो रेली है.
बढ़िया दिखाया भाई.
जय जय भड़ास