आयुर्वेद के क्षेत्र में गधे पंजीरी खा रहे हैं ये बात सत्य है और ये बात सिद्ध हो रही है आदरणीय डा.देशबंधु बाजपेयी के इस कथन से जो कि उनके ब्लाग पर चुभ रहा है कांटे की तरह आयुर्वेद के छद्मनेताओं को........
इसे पढ करके चौंकियेगा नहीं, सही बात और सत्य वचन यही हैं कि आयुर्वेद के नेता, आयुर्वेद के धुरन्धर विद्वान , आयुर्वेद के कर्ताधर्ता, आयुर्वेद के धाकड़ और जड़ीले भाई लोग, बिल्कुल नहीं चाहते कि कोई नया आविष्कार आयुर्वेद जैसे विज्ञान के लिये किया जाय । Electro Tridosha Graphy, ETG जैसी तकनीक को सामन्य जन और आप लोग भले ही महान आविष्कार बता रहे है , इन आयुर्वेद के नेताओं को यह सब "कूड़ा" नजर आ रहा है, जिसका मूल्य "दो कौड़ी" भी नही है और यह तकनीक "कूड़े कचरे के डिब्बे मे फेकने लायक" है । और तो और यह कोई वैज्ञानिक तकनीक भी नहीं है तथा इसका कोई वैज्ञानिक महत्व भी नहीं है और इससे विज्ञान जगत को कोई फायदा भी नहीं होने वाला ।
गुरुदेव आप की जीवन शैली से प्रेरणा मिलती है संघर्ष को सतत जारी रखने की...
जय जय भड़ास
मुंबई में बान्द्रा-कुर्ला काम्प्लेक्स में ३० जन.से २ फ़र. तक आयुष मंत्रालय की तरफ से आरोग्य मेला लग रहा है वहा मौजूद हर एक चिकित्सक,जन सामान्य से इस विषय पर चर्चा करेंगे और पर्चे बांटेंगे।
ReplyDeleteजय जय भड़ास
और हम भी साथ में रहेंगे भाईसाहब और मुनव्वर आपा के साथ। हरेक से पूंछेगे कि क्या आपने ईटीजी का नाम सुना है क्या जानते हैं फिर उन्हें सब स्पष्ट करेंगे।
ReplyDeleteजय जय भड़ास