मेट्रो सिटी के साथ साथ अब छोटी जगहों पर भी ये नेट्वर्किंग साईट खूब फल फूल रही है !! आये दिन इस के दुष्प्रभाव हमारे सामने दस्तक दे रहे है! अभी हाल ही में एक छात्र ने ऑरकुट नाम की साईट पर एक ऐसी Communities ज्वाइन कर ली थी जो मौत को एक अच्छा अनुभव बताई थी !!इसके बाद उस लड़के ने भी आत्महत्या कर ली थी !!!इसी क्रम में उन लड़कों और लड़कियों की लिस्ट बहुत लम्बी है जो इसका उपयोग महज जिस्म की आग मिटाने के लिए करते है !! मैं तो मेट्रो सिटी में रहता नहीं हूँ इसलिए अपने सागर जिले की कहानी ही बता सकता हूँ!! हमारे सागर जिले में भी काफी नंगापन फैला चुकी है यह साईट!! एक युवा बताता है की बह ऑरकुट की सहयता से अभी तक ६ लड़कियों के साथ जिस्मानी सम्बन्ध बना चुका है और फ़ोन पर कई लोगों से बात होती है !!अगर एक छोटे से जिले का ये हाल है तो मेट्रो सिटी के हालात का अंदाजा हम लगा सकते है ,कई लोगों को प्रेम का इज़हार करने के लिए भी काफी अच्छी जगह है ,लड़की के सामने आने की जरुरत ही नहीं पड़ती !! पटी तो पटी ,नहीं तो राखी बंदी वाला हाल है ! मैं इन साईट सा विरोधी नहीं हूँ पर इस तरह के उपभोगताओं को चाहिए की बह कुछ सुरक्षा बरते और जो खुद इस तरह के नंगे नाच में नंगे होकर नाचना चाहते है सो नाचें ...हमारा क्या है !!!!!
सच कहा आपने आज इस तरह की घटनाये बदती जा रही है !!
ReplyDeleteमैंने अपनी दोस्तों और बहुत से लोगों को सिकार बनते देखा है !! हलाकि मैं अपना ऑरकुट अकाउंट डिलीट कर चुकी हूँ!! अपनी ब्लॉग्गिंग और मीडिया ही ठीक है अच्छा लिखा आपने!!
संजय भाई एकदम सही कहा आपने कि ये सोशल नेटवर्किंग साइट्स ऐसी ही जगह बन चुकी हैं। लेकिन इन साइट्स के द्वारा जो बालक "जिस्मानी संबंधों" के लालच में लार टपका रहे हैं उन्हें पहले एड्स के बारे में सोच लेना चाहिये वरना बिंदास बोल.."कंडोम" बचाव के लिये काफ़ी नहीं है। लिप्स टु लिप्स किस भी संक्रमण कर सकता है लेकिन जिसे कुछ देर के "उठाव" के आगे जिंदगी सस्ती लगती है ये सुझाव उनके लिये तो हरगिज नहीं है। कस कर रगेदा है आपने ....
ReplyDeleteजय जय भड़ास
बिलकुल सही कहा आपने संजय भाई....
ReplyDeleteसंजय भाई,
ReplyDeleteबदलते परिवेश में मुझे याद आता है, जब मैं नया नया दिल्ली आया था, समान लेने दुकान पर जाता था तो सामने के डिब्बे में सीशा लगाकर दूकान वाले चोकलेट रखते थे, अब वहीँ जाता हूँ तो देखता हूँ कि वहां कंडोम का थोक रहता है, वस्तुतः स्वतन्त्रता में सेक्स को बढावा तो मिला ही है और युवा पीढी इसी में अपना उन्मुक्त भाव देखती है.
सटीक लिखा है आपने.
जय जय भड़ास