संजय सेन जी!क्या मजबूरी थी उल्टी करे को वापस खा लेना?




संजय सेन जी! भाई पहले आप निर्धारित करें कि आपने अपनी पोस्ट को पंखों वाली भड़ास से हटाया वो तो समझ में आया लेकिन इस पन्ने से हटाने के लिये आपकी क्या मजबूरी है, यहां आप अगर उल्टी करके वापसे उसे खा लेते हैं तो ये बात मुझ को तो मनोरोग जैसी लग रही है

3 comments:

  1. मैंने कई बार कुत्तों को उल्टी करके वापस खाते हुए देखा है लेकिन इंसानो को नहीं देखा है.... ये क्या हो रहा है संजय जी महाराज?
    जय जय भड़ास

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  2. वो क्या है जो ज़हर मैंने खाया था ,उससे अंदर अंदर ही मैन तो जल रहा था इसलिए मैंने उलटी कर दी ..लेकिन जब देखा की मेरी उलटी को खाकर कोई और मरने वाला है तो मेरी जमीर ने मुझे इजाजत नहीं दी इसलिए उलटी बापिस खाना मेरी मजबूरी बन गयी थी!!!
    किसी के बार बार निवेदन पर मुझे ये कदम उठाना पड़ा...अब आप इसे जो भी समझे समझ सकती है ..गाली देना हो दे सकती है..जबसे भड़ास से नाता जुडा है तो गाली सुनने की आदत सी हो गयी है !!!

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  3. हा...हा...हा....जरा बता दीजिये कि कौन मरने वाला था आपके इस विष-वमन को खाकर....क्या कोई सुअर या खुजैला पगलाया सा कोई कुत्ता? संजय बाबू ये पंखो वाली भड़ास नहीं है मेरे भाई...निवेदन भी माना तो किसका... गाली नहीं दे रही क्योंकि आपने ऐसा कुछ नहीं करा है लेकिन फिर भी मेरी निजी राय है कि ये हरकत लिजलिजापन है भड़ासी इससे पूरी तरह मुक्त हैं थोड़ा और पकना है आपको.....
    जय जय भड़ास

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