मुंबई में हुए आतंकवादी हमले के बाद लोग विरोध प्रकट करने के लिये मोमबत्तियां लेकर एकत्र हुए। इस पूरी घटना को प्रिंट व इलैक्ट्रोनिक मीडिया ने चाहे वह नवभारत टाइम्स हो या स्टार न्यूज और जी न्यूज; सभी ने एक सुर में बताया कि लोग खुद ही इकट्ठा हुए हैं इसके पीछे कोई राजनेता नहीं है, कोई पालिटिकल इंस्पिरेशन नहीं है। परिणाम ये हुआ कि यहां के बड़े राजनीतिक आकाओं को अपनी गद्दी छोड़नी पड़ी। जबकि सच आपके सामने रखने की कोशिश कर रही हूं कि इसके पीछे राजनीति के अलावा और कुछ था ही नहीं। मेरे मोबाइल से एक पत्रक की तस्वीर ली है जो कि आनन-फानन में लोकल ट्रेन और कोचिंग क्लासेस में बांटे गये थे। इस पूरी घटना के सूत्रधार और प्रेरक तत्त्व सामने आये बिना ही अपना काम करा और यही उनकी रणनीति थी जिसे उन्होंने मीडिया के कैमरों को खरीद कर उन तक पहुंचाया जो कि अपने-अपने घरों में बैठे थे। चलो अब एक बात तो क्लीयर हो गयी कि मीडिया के लालाजी को उचित कीमत देकर आप जनता की सोच को बड़ी आसानी से मोड़ सकते हैं।
जय जय भड़ास
इसे कहते हैं सही अर्थों में खोजी पत्रकारिता...
ReplyDeleteजय जय भड़ास
सच कह रही हो फरहीन बहन ऐसे सैकड़ों परचे तो मैंने खुद ट्रेन में बिखरे देखे तो ये किसी मीडिया के कैमरे को क्यों नहीं दिखे या सचमुच ये सब हरामीपन तय किया हुआ था????
ReplyDeleteजय जय भड़ास
फरहीन बहन,मुझे तो संदे है कि क्या जो लड़का जिंदा पकड़ा गया है उसका जिन्दा पकड़ा जाना भी साजिश का हिस्सा तो नहीं ताकि ये हमले का ठीकरा पाकिस्तान के सिर फोड़ा जा सके~ कौन जाने जो मीडिया बता रहा है वह कितना समाचार है और कितनी साजिश????
ReplyDeleteजय जय भड़ास
मैंने एक जगह पढ़ा था कि जब नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की हत्या करी तब उसने अपने हाथ पर मुस्लिम नाम गुदवा रखा था ताकि उसके पकड़े जाने पर हिंदुस्तान में हिंदू-मुस्लिम फ़साद भी हो जाए जो कि उस साजिश का ही हिस्सा था लेकिन इस बात को दबा दिया गया दरअसल सच तो ये है कि जो काम मुस्लिम लीग ने करा था वही काम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने करा था इनको बस हिंदू राष्ट्र चाहिये था वरना कोई बताए कि १९२५ में RSS की स्थापना हुई कितने संघ के लोगों को अंग्रेजों ने फ़ांसी दी??? एक भी नहीं...क्योंकि ये आजादी के पक्ष में थे ही नहीं बल्कि दोयम दर्जे पर राज्य करने के हिमायती थे.
ReplyDeleteजय जय भड़ास
ओए खुश कीत्ता ए..सारे लोग टिप्पणियों में एक नई पोस्ट का मैटर लिख रहे हैं. शुक्रिया
ReplyDeleteजय जय भड़ास
फरहीन,
ReplyDeleteआपने सही लिखा है और सत्य भी, सच कहूं तो ये ही पत्रकारिता है, लाला के दल्ले सिर्फ़ दलाली भर कर रहे हैं.
बहुत बढ़िया.
जय जय भड़ास
farheen you have done a great job.
ReplyDeletecongratulation...................
this is the way of investigative reporting.