एक और करुणावान उतरे करुणानिधि की वकालत करने




राजीव करूणानिधि! आओ मुझ हिजड़े से पंजा लड़ाओ (लेकिन हो सकता है कि अब आपको ये पोस्ट देखने को ही न मिले क्योंकि उस मंच से जहां मैने ये पोस्ट लिखी थी वहा से मेरी सदस्यता बिना किसी सूचना के समाप्त कर दी गयी है इसीलिये इस पोस्ट का चित्र आप सब को दिखा रही हूं) उनके जैसे एक और करुणावान निकल कर आये हैं उन जैसे मुखौटाधारियों की वकालत करने के लिये लीजिये पहले उनकी करी गयी टिप्पणी पर नजर मारिये............
भड़ास में गाली- गलौज कोई नई बात नहीं है, ठीक भी लगता है भड़ास के सच उगलने की ताकत की वज़ह से बड़े बड़े मठाधीश ना सिर्फ डरते हैं पर राजीव करूणानिधि के बहाने जो हो रहा है. मेरे मुताबिक ये उचित नहीं, देश में समाज में मुद्दे और भी हैं जिनपे मनीषा जी अपनी भारी भरकम भड़ास निकाल सकती हैं . लेकिन लगता है राजीव के बहाने वो खुद को एक अच्छा भडासी और पुरानी ब्लॉगर साबित करना चाहती हैं.


Akhilesh kr singh


मेरा उत्तर प्यार भरा :)

बाबू,मुद्दों की जुगाली करना और खुद को नया या पुराना भड़ासी सिद्ध करने के लिये कोई बहाना तलाशना?क्या बात है आप लग रहा है कोई पूर्वाग्रह पाले प्रतीत हो रहे हैं?मुझे जो कहना है वो मैंने कहा है और उचित अनुचित के आपने जो निजी पैमाने बनाए हैं वो सार्वभौम हैं क्या आप इस भ्रम में हैं जो इन्हे मुझ पर थोप रहे हैं। आप भी राजीव करुणानिधि जैसे ही करुणावान हैं क्या बताइये जरूर?क्या उसकी करुणा की निधि समाप्त हो गयी या शराफत की दुकान से शराफत खरीदने गया है तब तक आप उसकी वकालत कर रहे हैं??भड़ासी अच्छे हैं ही नहीं बुरे ही हैं तो मैं भी बुरी ही मानी जाऊं।
जय जय भड़ास

6 comments:

  1. दीदी ये तो आपके साथ होना ही था। मुबारक हो आपको एक और छद्मस्नेही ने अपनी औकात दिखा दी...
    जय जय भड़ास

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  2. बिलकुल सही है सच बोलने वालों का यही अंजाम होता है लेकिन जिन्हें खुदा सच बोलने की ताकत देता है उन्हें इस तरह के विरोध झेलने की ताकत भी देता है।
    जय जय भड़ास

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  3. बस इतना ही कहना है कि हम इनकी परवाह नहीं करते हैं, हम हमारा वजूद सिद्ध करने के लिये किसी के मोहताज नहीं है,ये सब चिरकुट हरकतें हमारे लिये निरर्थक हैं हम अपनी धुन में रहते हैं
    जय जय भड़ास

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  4. ऐसे करूणावानों की फेहरिस्त बड़ी लम्बी है जो हाथ आता जाएगा उसका मुखौटा नोचते चलेंगे
    जय जय भड़ास

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  5. दीदी असल में बात बस इतनी सी है कि ये जो स्वयंभू शरीफ़ लोगों का हिंदी ब्लागिंग में गिरोह है उसमें खलबली का परिणाम है कि एकाध कोई छुतहा सा इसके जैसा इसके पक्ष में खड़ा होने आ जाएगा लेकिन जब इनके मुखौटे नोचे जाने लगेंगे तो साले सब मुंह छुपा कर भाग जाएंगे।
    जय जय भड़ास

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  6. दीदी,
    बदलते समय में गिरगिट की तरह लोग रंग बदलते हैं, आपकी भावना को एक और गिरगिट ने प्रताडित किया, मगर इन गिरगिटों और क्षद्मरूपी मानवों के क्षद्मता का अंत सन्निकट है,
    बस जय भड़ास का रणभेद करना है.
    जय जय भड़ास

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