जनता थू -थू कर रही है, लोगों का गुस्सा फुट पड़ा है। लोग नेताओं को गाहे-बगाहे गलियां तक रसीद कर रहे हैं। वीर शदीद संदीप उन्नीकृष्णन के पिता ने तो मुख्यमंत्री को ही घर से भगा दिया। ये जनता का आक्रोश है, जिसे सारा देश महसूस कर रहा है। मुंबई हमले के बारे में बहुत कुछ लिखा जा चुका है और जरी भी है। सबने देखा की किस तरह आतंकियों ने आतंक का नंगा नाच खेला। किस तरह से नेताओं ने राजीनीति का गन्दा राग छेदा। सफ़ेद कुरते पहने, खुसबू से गम्गामाते नेताओं के अचकन सलीके से हैं । कहीं कोई परिवर्तन नही, शायद दुनिया न देखती तो अपनी कुटिल मुस्कान भी बिखरने से बाज नही आते , ये सफेदपोश काक्रोच। इन काकरोचों को कुर्सी की लकडी का नशा चढ़ गया है। जिनको कुर्सी मिली है, वे तो चाहते हैं की इतना चबा लो के आनेवाले काक्रोच को कुछ न मिले। जिसे कुर्सी नहीं मिली है, वे इतने लालायित हैं के चौबीसों घंटे बारहों महीने इनकी लार बरबस चू रही है। जनता ये साफ समझ ले की ये मोटी तोंद और लम्बी काली जुबान वाले सफ़ेद जानवर इस युग के सबसे खतरनाक प्राणी है। हमें यह स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिए की इनकी निति बस राज करने के इर्द-गिर्द घुमती है। इन्हे देश की सुरक्षा से क्या लेना-देना है, जबकि ख़ुद इन कायरों की सुरक्षा में करोड़ों रुपये फूंक दिए जाते हैं। ये पैसा इनके पिछले जनम की कमाई है या हम गरीबों के खून- पसीने के उपजाई। जनता जबाब मांग रही है ? मगर किससे? कुर्सी के गोडे से चिपके सफ़ेद कक्रोच्नुमा जानवरों से ? मांगो जनता मांगो ! अरे येही तो ये चाहते हैं की जनता कुछ मांगे। ताकि ये जानवर कुछ देर के लिए इन्सान बनकर जनता को दिलासा दिलाएं और अगली बार चुन कर आने पर फिर आराम से पाँच साल तक कुर्सी चबाएं। हमारा जनता से नम्र निवेदन है की ऐसे तिलचट्टों , काकरोचों, गिरगिटों को पहचानें, इन्हे सरकार तो क्या अपने घर में न घुसाने दे।
लोकतंत्र खतरे में पड़ गया लोकतंत्र के रखवालों से ,
भाई,इस लिहाज से तो देश में किसी अच्छे कीटनाशक के छिड़काव की जरूरत है। मुझे लगता है कि शैक्षिक जागरूकता ही ऐसे कीड़े,खट्मल,काक्रोच और गिरगिट मार सकेगी.....
ReplyDeleteजय जय भड़ास
दीदी आपने सच कहा,
ReplyDeleteमगर शिक्षित लोगों की जमात भी अवसरवादिता के कीडे से पीडित है, वस्तुतः हमें हमारे लोकतंत्र में ही बदलाव लाना होगा, वर्तमान का लोकतंत्र यानी की लोलुप्तंत्र मात्र है.
आज हम सेना के गीत गा रहे हैं, सुर मिलाने वालों की कमी नही मगर ये सुर मिलाने वाले लोग ही साध्वी प्रकरण पर सेना को लपेटने से भी पीछे नही थे,
बड़ा गोरख धंधा है, लोगों के छद्मचरित्र ने भी हमारे यहाँ मानवता को कम तार तार नही किया है.
जय जय भड़ास