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हे मुनिश्रेष्ठ नारद.....
अरे मुनिवर कभी हमारे जैसे लोगों के बारे में कुछ तो बोलो चाहे भला या बुरा......मिठाई या मिर्ची....
लगेगा कि आपने अपने विचार अंतरिक्ष में हम जैसों को भी स्थान दिया लेकिन राजनेताओं की तरह चुप्पी न साध जाना भगवन... मुनिश्रेष्ठ....
जय भड़ास
धमाके के बहाने लाशों पर राजनीति
एक और धमाका, हमारी धरती रक्तरंजित, इस बार निशाना पूर्वांचल और रक्त रंजित हुआ आसाम। यहां हुए 13 सीरियल ब्लास्टों में कम से कम 66 लोगों की मौत हो गई और दो सौ से अधिक लोग घायल हो गए। सभी विस्फोट कल सुबह 11.30 से 11.40 बजे के बीच हुए। कोकराझाड़ में तीन जगहों पर, गुवाहाटी में पांच जगहों पर और बोंगाईगांव तीन व बरपेटा में दो जगहों में धमाके १० मिनट के दरम्यान हो गए। पूरा आसाम खून से लाल हो गया। भइयादूज को लेकर बाजार में काफ़ी भीड़ भाड़ थी, और नुक्सान आतंकियों के अनुरूप रहा।पहले सिमी फ़िर बजरंग दल, उसके बाद मनसे यानी की धमाके और विस्फोटों का ठीकडा फोड़ने के लिए सरकार के पास लम्बी फेरहिस्त है और इस बार बारी किसकी जबकी तेज तर्रार उल्फा ने मना कर दिया अपनी भागीदारी से। सरकार इस धमाके के जिम्मेदारी का ठीकडा किसके सर फोडेगी?पिछले कई महीनो से हो रही आतंकी घटना का नुकसान सिर्फ़ आम आदमियों पर होता है, हजारो की तादाद में आम लोग मारे गए। नुकसान सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारा, जवाबदेह सिर्फ़ और सिर्फ़ निकम्मी सरकार और उसके बेकार हो चुके तंत्र। गोधरा होता है तो फलां दोषी, मालेगांव तो फलां, हैदराबाद, जयपुर, दिल्ली, या फ़िर मुम्बई तमाम घटनाओं पर अगर नजर डालें तो हरेक बार सरकार ने सिर्फ़ पल्ला झाडा है, चंद चूतियों की कमिटी बनी और जांच बिठा दिया, और सरकार के इस चुतियापा में बड़ा बड़ की भागीदार हमारी मीडिया भी रही है, ख़बरों को चुतियापा के स्तर पर संपादित कर सिर्फ़ अपने लाला जी के फायदे वाली ख़बर, लोगों की वास्तविकता से कोसों दूर की ख़बर, और इसको प्रसारित कर बड़े बड़े स्वयंभू पत्रकार बड़े गर्वान्वित होते हैं।एक बार फ़िर हमारा देश खून से लाल हुआ, किस किस रिश्ते की हत्या हुई ये कोई नही जानता मगर जिम्मेदार नि:संदेह सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारी निकम्मी सरकार के निकम्मे नुमाइंदे हैं जिन्होंने हमारे तंत्र को सिर्फ़ और सिर्फ़ जी हुजूरी करने की सीख दी है और साथ ही इस में बड़ाबड़ के भागीदार तमाम वो मीडियावाले जो ख़बर की जगह अपने संस्थान को सनसनी खबरियागाह बनाते हैं।बाद में कोई कुछ भी कर ले मगर नुकसान होनेवाले लोगों के लाशों पर राजनीति करनेवाले लोग ही हमारे इस नुकसान के जिम्मेदार हैं.
एक और धमाका !
महाराष्ट्र के तमाम केंद्रीय कर्मियौं से अपील.
मुम्बई पोलिस, प्रशाशन, सरकार और तंत्र के साथ केन्द्र का इस पुरे प्रकरण पर धृतराष्ट की तरह चुप्पी साध कर राज ठाकरे को अप्रत्यक्ष मदद देना पुरे देश की भयावहता को दर्शाता है। राष्ट्र गृह युद्ध की और अग्रसर है और नि:संदेह इसके लिए ये सारे लोग जिम्मेदार होंगे, आज मुम्बई में कोई भी उत्तर भारतीय महिला नही जानती की सुबह को ऑफिस जाने वाला उसका पति शाम को जिंदा वापस आएगा की नही, बच्चा बच्चा आतंक के निशाने पर है। सरकार की कपोलता का अंदाजा की सिमी और साध्वी के बहाने राज से लोगों का ध्यान बाटने की कोशिश की राज का गुंडाराज चलता रहे। जबकी पुरी दुनिया जानती है की निकम्मे मराठीयों से महारष्ट्र नही चलने वाला।
मैं अपील करता हूँ तमाम उन लोगों से जो केंद्रीय कर्मचारी और अधिकारी हैं, बैंक में हैं, रेलवे में हैं, या किसी भी विभाग में हैं। महाराष्ट्र की अकर्मण्य सरकार किसी को कोई सुरक्षा नही दे सकती अपितु अपराध और आतंकियों की संरक्षक है और संभावित गृहयुद्ध की जिम्मेदार भी। सो अपने परिवार और साथियों के साथ सम्मलित स्थानांतरण का आवेदन अपने अपने विभागीय पदाधिकारी तक पहुंचाएं. आपका ये आवेदन एक संदेश होगा. और निष्क्रिय तंत्र के लिए एक चेतावनी भी।
सम्मलित स्थानांतरण का आवेदन की अपील
मुम्बई पोलिस, प्रशाशन, सरकार और तंत्र के साथ केन्द्र का इस पुरे प्रकरण पर धृतराष्ट की तरह चुप्पी साध कर राज ठाकरे को अप्रत्यक्ष मदद देना पुरे देश की भयावहता को दर्शाता है। राष्ट्र गृह युद्ध की और अग्रसर है और नि:संदेह इसके लिए ये सारे लोग जिम्मेदार होंगे, आज मुम्बई में कोई भी उत्तर भारतीय महिला नही जानती की सुबह को ऑफिस जाने वाला उसका पति शाम को जिंदा वापस आएगा की नही, बच्चा बच्चा आतंक के निशाने पर है। सरकार की कपोलता का अंदाजा की सिमी और साध्वी के बहाने राज से लोगों का ध्यान बाटने की कोशिश की राज का गुंडाराज चलता रहे। जबकी पुरी दुनिया जानती है की निकम्मे मराठीयों से महारष्ट्र नही चलने वाला।
मैं अपील करता हूँ तमाम उन लोगों से जो केंद्रीय कर्मचारी और अधिकारी हैं, बैंक में हैं, रेलवे में हैं, या किसी भी विभाग में हैं। महाराष्ट्र की अकर्मण्य सरकार किसी को कोई सुरक्षा नही दे सकती अपितु अपराध और आतंकियों की संरक्षक है और संभावित गृहयुद्ध की जिम्मेदार भी। सो अपने परिवार और साथियों के साथ सम्मलित स्थानांतरण का आवेदन अपने अपने विभागीय पदाधिकारी तक पहुंचाएं. आपका ये आवेदन एक संदेश होगा. और निष्क्रिय तंत्र के लिए एक चेतावनी भी।
क्या हमारे भारतीयता त्यागने का समय आ गया ?
राहुल राज को गोली मार दी गई, महारष्ट्र पोलिस और स्थानीय गृह मंत्री की माने तो राहुल आतंकवादी था और आतंकी गतिविधी की बलिवेदी पर चढ़ गया। ये उस प्रान्त के गृहमंत्री का बयान है जहाँ राज ठाकरे नामक नपुंशक मानवता को तार-तार, जार जार कर रहा है, भारतीय सभ्यता और संस्कृति के विपरीत आतंक का सिलसिला जो महाराष्ट्र की संस्कृति में शिवा जी ने शुरू किया को अभी भी अपने आतंकी गतिविधियों से जारी रखे हुए है , राज ठाकरे की आतंकी गतिविधि आर आर पाटिल के बयान लायक नही मगर राजनीति के खोमचे में सवार राहुल राज को आतंकी बनाने में क्षणिक देरी नही, पूरा का पूरा महाराष्ट्र यानी की क्षद्म चरित्र, अपनी नाकाबिलियत और निकम्मेपन का ठीकडा किसी और के सर पे फोर दो.
देश की राजनीति का काला पन्ना राज ठाकरे ने जो जहर भारतीय राजनीति में बोई उसे कब तक सहें, हम कब तक बर्दाश्त करें, बिहारी के सहिष्णुता का इम्तिहान और वो भी इस स्तर पर कि अब और नही, हाँ राज ठाकरे अब और नही। जिस बिहारी को तुमने ललकारा है वो तुम्हारे शिवाजी की तरह काला इतिहास नही रखता है। भारतीय संस्कृति और सभ्यता का एक मात्र संस्करण बिहार की संस्कृति है.
राहुल ने जो शहादत दी वो भारतीय इतिहास के मंगल पाण्डेय की याद करा गया. कोई ना साथ है ठीक है हम अकेले लड़ लेंगे भले ही जान चली जाए, मगर राहुल की ये शहादत बिहारियों के लिए एक आवाज़ की आगाज़ है।
एक गरीब ब्राह्मण सिर्फ़ इसलिए एक राजा के वंश को शर्वनाश करने का शपथ लेता है क्यौंकी उस दम्भी राजा ने सरे आम उसकी बेइज्जती की। "चाणक्य" जो आज सारे दुनिया की राजनीति का एक मात्र नाम है, अपनी शिखा तब तक नही बंधी जब तक नन्द का शर्वनाश नही कर दिया, और एक शूद्र को देश की बागडोर सोंप दी,जो चन्द्रगुप्त को भारत के इतिहास का एक अध्याय है.
शान्तिप्रिय अशोक ने जब क्रूडता धारण की तो इतिहास गवाह है भारत की चौहद्दी अशोक से ज्यादा किसी राजा ने नही बढाई, मगर एक छोटे बच्चे के आंसू ने महान सम्राट को जब शान्ति का मसीहा बनाया तो महान अशोक भारत की सीमाओं में बंध कर नही रहा।
आज एक बलिदान ने बिहार के शीर्षस्थ नेताओं को इकठ्ठा कर दिया तो क्या हम इन नेताओं से भी गए गुजरे हैं, अपने पूर्वजों महान सम्राट अशोक, चाणक्य, शेर शाह सूरी, बाबु कुंअर सिंह ने हमें निकम्मा और नाकारा बनना नही सिखाया। स्वाभिमान और सम्मान के लिए मरने वाला बिहारी, देश के लिए अपना सबकुछ न्योछावर करने वाला बिहारी आज जिस जिस के लिए त्याग और बलिदान दिया वो हमारे अश्मिता के दुश्मन हैं, उनके लिए हम क्षुद्र हैं।
बोद्धिक सम्पदा को लेकर आए तमाम बिहारियों से आवाहन, लाला की चाकरी के अलावे भी अपनी जिम्मेदारी समझें, अपनी पूर्वजों के प्रति, अपनी मातृभूमि के प्रति, सम्मान और निष्ठां के प्रति।
यदि हमें मजबूर किया जा रहा है महान अशोक के रास्ते को चुनने का तो आवाहन करो और इस धरती से महाराष्ट्र और मराठी का नाम मिटा देने का संकल्प करो। नही कर सकते तो अपनी मातृभूमि से माफी मांगो और गुलामी करों उनकी जो तुम्हारी माँ बहन की अश्मिता को अपनी जूती समझते हैं.
चाणक्य के नन्द वंश को समाप्त करने की कसम की तरह मराठियों की समाप्ती का संकल्प करो, तमाम लोगों को आवाहन करो और चलो मिटा दें उनको जिन्हें पता नही की बिहार क्या है, बिहारी क्या है.
क्या हमारे भारतीयता त्यागने का समय आ गया ?
देश की राजनीति का काला पन्ना राज ठाकरे ने जो जहर भारतीय राजनीति में बोई उसे कब तक सहें, हम कब तक बर्दाश्त करें, बिहारी के सश्नुता का इम्तिहान और वो भी इस स्तर पर की अब और नही, हाँ राज ठाकरे अब और नही। जिस बिहारी को तुमने ललकारा है वो तुम्हारे शिवाजी की तरह काला इतिहास नही रखता है। भारतीयसंस्कृति और सभ्यता का एक मात्र संस्करण बिहार की संस्कृति है.
राहुल ने जो शहादत दी वो भारतीय इतिहास के मंगल पाण्डेय की याद करा गया. कोई ना साथ है ठीक है हम अकेले लड़ लेंगे भले ही जान चली जाए, मगर राहुल की ये शहादत बिहारियों के लिए एक आवाज़ की आगाज़ है।
एक गरीब ब्राह्मण सिर्फ़ इसलिए एक राजा के वंश को शर्वनाश करने का शपथ लेता है क्यौंकी उस दम्भी राजा ने सरे आम उसकी बेइज्जती की। "चाणक्य" जो आज सारे दुनिया की राजनीति का एक मात्र नाम है, अपनी शिखा तब तक नही बंधी जब तक नन्द का शर्वनाश नही कर दिया, और एक शूद्र को देश की बागडोर सोंप दी,
शान्तिप्रिय अशोक ने जब क्रूडता धारण की तो इतिहास गवाह है भारत की चौहद्दी अशोक से ज्यादा किसी रजा ने नही बधाई, मगर एक छोटे बच्चे के आंसू ने महँ सम्राट को जब शान्ति का मसीहा बनाया तो महान अशोक भारत की सीमाओं में बंध कर नही रहा।
आज एक बलिदान ने बिहार के शीर्षस्थ नेताओं को इकठ्ठा कर दिया तो क्या हम इन नेताओं से भी गए गुजरे हैं, अपने पूर्वजों महान सम्राट अशोक, चाणक्य, शेर शाह सूरी, बाबु कुंअर सिंह ने हमें निकम्मा और नाकारा बनना नही सिखाया। स्वभीमन्न और सम्मान के लिए मरने वाला बिहारी, देश के लिए अपना सबकुछ न्योछावर करने वाला बिहारी आज जिस जिस के लिए त्याग और बलिदान दिया वो हमारे अश्मिता के दुश्मन हैं, उनके लिए हम क्षुद्र हैं।
बोद्धिक सम्पदा को लेकर आए तमाम बिहारियों से आवाहन, लाला की चाकरी के अलावे भी अपनी जिम्मेदारी समझें, अपनी पूर्वजों के प्रति, अपनी मातृभूमि के प्रति, सम्मान और निष्ठां के प्रति।
यदि हमें मजबूर किया जा रहा है महान अशोक के रास्ते को चुनने का तो आवाहन करो और इस धरती से महाराष्ट्र और मराठी का नाम मिटा देने का संकल्प करो। नही कर सकते तो अपनी मातृभूमि से माफी मांगो और गुलामी करों उनकी जो तुम्हारी माँ बहन की अश्मिता को अपनी जूती समझते हैं.
चाणक्य के नन्द वंश को समाप्त करने की कसम की तरह मराठियों की समाप्ती का संकल्प करो, तमाम लोगों को आवाहन करो और चलो मिटा देन उनको जिन्हें पता नही की बिहार क्या है, बिहारी क्या है.