कल शाम बेनजीर की हत्या फ़िरकापरस्त ताक़तों ने कर दी, एक बार फिर एक सवाल विश्व समाज के सामने आतंकवाद का रह गया कि आखिर कब तक ?
बेनजीर के जाने के बाद जो ख़ालीपन दक्षिण और पश्चिम के रिश्ते में आया है उसको भरने में काफी समय लगेगा। ये जग जाहिर है कि बेनजीर अमेरिका और इंग्लैंड के काफी करीब थीं और दक्षिण-पश्चिम के लिए एक कड़ी कि तरह थीं। समय बलवान होता है नई कड़ी आयेगी ज़रूर मगर उसके वक्त का पता नही और कहीं भी नए रिश्ते समय लेते हैं।
बहरहाल पाकिस्तान में लोकतंत्र की नयी पौध पर एक बार फिर ग्रहण छा गया है और हम उस ग्रहण के हटने कि दुआ कर सकते हैं।